हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, यह परंपरा "मन ला याहज़ुर अल-फ़कीह" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام السجاد علیہ السلام:
"حَقُّ سائسِكَ بِالعِلمِ : التَّعظيمُ لَهُ ، و التَّوقيرُ لِمَجلِسِهِ ، و حُسنُ الاستِماعِ إلَيهِ"
इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ) ने फ़रमाया:
अपने शिक्षक और मार्गदर्शक का सम्मान करना, उनकी उपस्थिति का सम्मान करना और उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुनना आपका अधिकार है।
मन ला याहज़ुर अल-फ़कीह, भाग 2, पेज 620
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